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Monday, March 28, 2011

संगठन में शक्ति है










एकता ही समाज का दीपक है- एकता ही शांति का खजाना है। संगठन ही सर्वोत्कृषष्ट शक्ति है। संगठन ही समाजोत्थान का अधर है। संगठन बिन समाज का उत्थान संभव नहीं। एकता के बिना समाज आदर्श स्थापित नहीं कर सकता।, क्योंकि एकता ही समाज एवं देश के लिए अमोघ शक्ति है, किन्तु विघटन समाज के लिए विनाशक शक्ति है। विघटन समाज को तोड़ता है और संगठन व्यक्ति को जोड़ता है। संगठन समाज एवं देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचा देता है। आपसी फूट एवं समाज का विनाश कर देती है। धागा यदि संगठित होकर एक जाए तो वः हठी जैसे शक्तिशाली जानवर को भी बांध सकता है। किन्तु वे धागे यदि अलग-अलग रहें तो वे एक तृण को भी बंधने में असमर्थ होते हैं। विघटित ५०० से - संगठित ५ श्रेष्ठ हैं। संगठन छे किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो, वह सदैव अच्छा होता है- संगठन ही प्रगति का प्रतीक है, जिस घर में संगठन होता है उस घर में सदैव शांति एवं सुख की वर्षा होती है। चाहे व्यक्ति गरीब ही क्यों न हो, किन्तु यदि उसके घर-परिवार में संगठन है अर्थात सभी मिलकर एक हैं तो वह कभी भी दुखी नहीं हो सकता, लेकिन जहाँ या जिस घर में विघटन है अर्थात एकता नहीं है तो उस घर में चाहे कितना भी धन, वैभव हो किन्तु विघटन, फूट हो तो हानि ही हाथ आती है।











एकता बहुत बड़ी उपलब्धि है, जहाँ एकता है वहां कोई भी विद्रोही शक्ति सफल नहीं हो सकती है, जहाँ संगठन है वहां बहुत बड़ा बोझ उठाना भारी नहीं लगता। जहाँ संगठन है, एकता है वहां हमेशा प्रेम-वात्सल्य बरसता है- एकता ही प्रेम को जन्म देती है, एकता ही विकास को गति देती है।



रावण की अक्षोहीनी सेना का संहार हो गया, कौरवों का विध्वंस हो गया, क्योंकी मात्र आपस की फूट से, विघटन से रावण ने अनीति, अत्याचार की और कदम बढाया, यह सब विभीषण को सहन नहीं हुआ, भाई ने ही भाई का रहस्य बतला दिया, घर में फूट हो गई। मात्र उसी फूट से ही रवां परस्त हुआ क्यों की घर में एकता नहीं थी। जहाँ अनीति और अत्याचार प्रारंभ हो जाता है वहां से ही विघटन प्रारंभ हो जाता है। विघटन से ही फूट और फूट से व्यक्ति का विनाश हो जाता है। कौरव सौ होकर भी पांच पांडव से परस्त हो गए, क्यों ? क्योंकि पांडव भले ही पांच थे किन्तु पाँचों एक थे, एक ही धागे में पिरोये हुए थे, धागा यदि संगठित होकर एक हो जाए तो उसी धागे से बड़े जानवर को भी बाँधने में समर्थ हो जाते हैं किन्तु वह बिखरकर अलग हो जाएँ तो जीर्ण तरन को भी बाँधने में समर्थ नहीं होते, टूट जाएँगे। बिखरा हुआ व्यक्ति टूटता है- बिखरा समाज टूटता है- बिखराव में उन्नति नहीं अवनति होती है- बिखराव किसी भी क्षेत्र में अच्छा नहीं। जो समाज संगठित होगा, एकता के सूत्र में बंधा होगा, वह कभी भी परास्त नहीं हो सकता- क्योंकि एकता ही सर्वश्रेष्ठ शक्ति है, किन्तु जहाँ विघटन है, एकता नहीं है उस समाज पर चाहे कोई भी आक्रमण कर विध्वंस कर देगा। इसलिए ५०० विघटित व्यक्तियों से ५ संगठित व्यक्ति श्रेष्ठ हैं, बहुत बड़े विघटित समाज से छोटा सा संगठित समाज श्रेष्ठ है। यदि समाज को आदर्शशील बनाना चाहते हो तो एकता की और कदम बढाओ।




समाज एकता की चर्चा करने के पूर्व आवश्यकता है- घर की एकता, परिवार की एकता की। क्योंकि जब तक घर की एकता नहीं होगी- तब तक समाज, राष्ट्र, विश्व की एकता संभव नहीं। एकता ही समाज को विकासशील बना सकती है। समाज के संगठन से एकता का जन्म होता है एवं एकता से ही शांति एवं आनंद की वृष्टि होती है। इसलिए हम सब के लिए यही संकेत है की एकता के सूत्र को चरितार्थ कर समाज को गौरवान्वित करें.... मनोहर सिंह चौहान, एडवोकेट

Friday, March 18, 2011

वर्तमान की ज्वलंत समस्या

हर माता-पिता चाहे वह अमीर हो या गरीब उनकी एक ही तमन्ना होती है की उसकी संतानें पढ़-लिखकर उन्नति के शिखर पर सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त करें। इसके लिए वे हर प्रकार का त्याग करते हैं। अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई को अपने बच्चों के पालन-पोषण और पढाई-लिखी में खर्च कर देते हैं। किन्तु बच्चे पढ़ लिखकर कैरियर में अच्छा मुकाम हासिल कर लेते हैं तो वे अपने उन्हीं माता-पिता की उपेक्षा करने लगते हैं।

जिन्होंने उनकी उन्नति के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया है। भौतिकवादी संस्कृति के वशीभूत होकर शिक्षित व समर्थ नवयुवक-नवयुवतियों अपने बच्चों के साथ एकल परिवार के रूप में रहना अपनी शान समझते हैं। शायद वे इस सत्य से अनभिग्य हैं की उन्हें भी एक दिन बूढा होना है। वर्तमान की इस ज्वलंत समस्या के चलते असंख्य बूढ़े माता-पिता या तो घर के एक कोने में उपेक्षित पड़े रहते हैं अथवा वृद्धाश्रमों में जाकर शेष दिन काटने के लिए मजबूर हैं। आने वाले समय में यह समस्या विकराल रूप ले इसके पहले समय रहते हम सबको मिलकर वैचारिक क्रांति छेड़नी होगी।

_बी डी सिंह सोलंकी

Thursday, March 17, 2011

मैं भारत की नारी हूँ

A real photo of 'Jhansi Ki Rani'
मुझको कोई फूल न समझे, छुपी हुई चिंगारी हूँ।

अरि का शीश काटने वाली मैं भारत की नारी हूँ

त्याग भरा है पन्ना मां का,

जौहर पद्मिनी नारी का।

शीश उतारूँ रन रंगन में,

लेकर शूल भवानी का॥

रन में धूम मचाने वाली, मैं झाँसी की रानी हूँ।

अरि का शीश काटने वाली,मैं भारत की नारी हूँ॥

अग्नि परीक्षा देने वाली,

सीता की तस्वीर हूँ मैं।

सावित्री का पवन व्रत हूँ मैं ,

सत्यवान तकदीर हूँ मैं॥

देवों को पालने झुलाती, अनुसुइया सी नारी हूँ।

सिंहवाहिनी दुर्गा हूँ मैं, मैं भारत की नारी हूँ॥

फूल भी हूँ, शबनम भी हूँ,

पति का पवन श्रृंगार भी हूँ।

मुझको देखे कोई कुदृष्टि से,

तो उस पापी का अंगार हूँ मैं॥

ले कतार छाती पर चढ़ती, मैं भारत की छत्रानी हूँ।

अरि का शीश काटने वाली, मैं भारत की नारी हूँ॥

_शिवांगी सिसोदिया, ग्राम- नगला भोजपुर, पोस्ट- कुस्मारा, जिला- मैनपुरी, (उ. प्रदेश)

एक गीत

झंडा तिरंगा मेरी जान है,

मेरे भारत की पहचान है।

झंडे तिरंगे में तीन है रंग,

देश की खातिर निकला था दम।

याद जो वीरों की आती है,

आँख मेरी भर आती है।

वीरों ने कितने उठाए थे सितम,

झंडा तिरंगा ऊँचा रहे हर दम।

तिरंगा झंडा मेरी जान है,

मेरे भारत की पहचान है।

-सीमा सिसोदिया, ग्राम-- नगला भोजपुर, पोस्ट कुश्मरा, जिला- मैनपुरी (उ.प्र.)

Friday, March 11, 2011

तृतीय विश्वयुद्ध प्रारंभ- क्या नास्ट्रेदमस की भविष्यवाणी सच होने जा रही है !

मैं जो लिख रहा हूँ वह कोई आजकल की लिखी हुई किताब से नही है बल्कि 14 दिसंबर 1503 को फ्रांस में जन्मे नास्त्रेदमस की लिखी भविष्यवाणी पर आधारित पुस्तक से पढकर लिख रहा हूँ ।
नास्त्रेदमस की दुर्लभ भविष्यवाणी नामक इस पुस्तक के अनुवादक अशोक कुमार शर्मा हैं । मैं इस पुस्तक को पढ रहा था कि इसके पृष्ट क्रमांक 48 पर निगाह पडते ही मैं सन्न रह गया इसमें लिखा है “एक पनडुब्बी में तमाम हथियार और दस्तावेज लेकर वह व्यक्ति इटली के तट पर पहुंचेगा और युद्ध शुरू करेगा । उसका काफिला बहुत दूर से इतालवी तट तक आएगा “
अब इसके आगे की लाइन पर गौर फरमाएँ - अगर विश्व मानचित्र को ध्यान से देखा जाये तो इटली के तट की ओर आने के लिये सबसे उपयुक्त रास्ता समद्र मार्ग ही लगता है । आधुनिक युद्धों में किसी भी देश पर मिसाइल तथा विमानों से आक्रमण करना तो संभव होगा नही । फिर पनडुब्बी द्वारा समुद्र के भीतर-भीतर होकर एक दम किसी देश पर हमला कर देना आसान भी है और कम जोखिमभरा भी । अपने ही देश में दुश्मन पर अणु बम भी नही चलाया जा सकता । इससे मुकाबला सैनिको के बीच होगा न कि तकनीक के बीच ।
इसके बाद की लाइनों ने ही मेरे होश उडा दिये इसमें साफ साफ लिखा गया कि – इटली के चारो ओर मित्र राष्ट्र हैं मगर कुछ ही दूरी पर लगभग एक हजार किलोमीटर के क्षेत्र में लीबिया, अल्जीरिया, मिश्र, सउदी अरब, तुर्की और इस्राइली तट हैं । इनमें से कौन सा देश युद्ध शुरू करेगा अनुमान लगाना कठिन है मगर पश्चिमी समीक्षक यह संदेह करते हैं कि लीबिया यह कारनामा कर सकता है ।
अब इसे पढने के बाद आप बतायें कि हाथों को लिखने से कैसे रोका जा सकता है । चाहे जैसी भी समीक्षा की की गई हो लेकिन यह बहुत ही सटीक भविष्यवाणी है । इन भविष्याणीयों में और भी कई बातें जुडी हुई है मगर वर्तमान में जिस तरह से वातावरण बन रहा है उसमें अमेरिका- रूस का गठबंधन एवं पूर्व में चीन- अरब गठबंधन बनने की आशंका बताई गई है । अभी हाल ही में इरान नें अमेरिका को लीबिया में दखलंदाजी करने से मना किया है । लेकिन ऊपर जिस तरह से पनडुब्बी की बात आई है उससे तो यही लगता है कि अमेरिका मित्र देशों के साथ मिलकर लीबिया को नो फ्लाई जोन में तब्दील करवा सकता है जिसके बाद गद्दाफी के पास पनडुब्बी के अलावा कोई दुसरा विकल्प नही बचेगा ।
अभी अभी की खबर है - समाचार चैनल ‘अल जजीरा’ के मुताबिक रास लानूफ शहर के ऊपर लड़ाकू विमान चक्कर लगा रहे हैं, जबकि विद्रोही विमानों का अपना निशाना बना रहे हैं। यानि की मैं इस खबर को लिख रहा हूँ और भविष्यवाणी का समय पास आता जा रहा है । इसके अलावा इसमें जिस तरह से विश्व के नेताओं की स्थिति जाहिर की गई है वह इस समय बिल्कुल सही स्थान पर है जैसे – तीन ओर जल से घिरे देश में एक नेता होगा जो जंगली नाम वाला होगा (इसकी व्याख्या इस प्रकार की गई है की भविष्य में कोई सिख(सिंह ) भारत मे प्रधानमंत्री पद पर बैठेगा ) वर्तमान में मनमोहन सिंह इसी पद पर हैं , एक देश मे जन क्रांति से नया नेता सत्ता संभालेगा ( मिश्र में हो चुका है ) नया पोप दुसरे देश में बैठेगा (वर्तमान के पोप फ्रांस में रहते हैं ) मंगोल (चीन) चर्च के खिलाफ युद्ध छेडेगा ( चीन नेंं अमेरिका को लीबिया से दूर रहने की सलाह दे डाली है ) इसके अलावा और भी कई चीजें ऐसी होने वाली है जो कुछ ही दिनों में पूरी हो सकती है । जैसे – छुपा बैठा शैतान अचानक बाहर निकल आएगा ( ओसामा या अन्य बडा आतंकवादी समाने आ सकता है) नया धर्म (इस्लाम) चर्च के खिलाफ भारी मारकाट करते हुए इटली और फ्रांस तक जा पहुंचेगा ।
उफ्फ्फ्फ्फ ना जाने और भी कितनी बातें है जिन्हे पढने से ही सिहरन हो जाती है । लेकिन जो नियती है वह तो निभ कर ही रहेगी....