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Thursday, March 17, 2011

मैं भारत की नारी हूँ

A real photo of 'Jhansi Ki Rani'
मुझको कोई फूल न समझे, छुपी हुई चिंगारी हूँ।

अरि का शीश काटने वाली मैं भारत की नारी हूँ

त्याग भरा है पन्ना मां का,

जौहर पद्मिनी नारी का।

शीश उतारूँ रन रंगन में,

लेकर शूल भवानी का॥

रन में धूम मचाने वाली, मैं झाँसी की रानी हूँ।

अरि का शीश काटने वाली,मैं भारत की नारी हूँ॥

अग्नि परीक्षा देने वाली,

सीता की तस्वीर हूँ मैं।

सावित्री का पवन व्रत हूँ मैं ,

सत्यवान तकदीर हूँ मैं॥

देवों को पालने झुलाती, अनुसुइया सी नारी हूँ।

सिंहवाहिनी दुर्गा हूँ मैं, मैं भारत की नारी हूँ॥

फूल भी हूँ, शबनम भी हूँ,

पति का पवन श्रृंगार भी हूँ।

मुझको देखे कोई कुदृष्टि से,

तो उस पापी का अंगार हूँ मैं॥

ले कतार छाती पर चढ़ती, मैं भारत की छत्रानी हूँ।

अरि का शीश काटने वाली, मैं भारत की नारी हूँ॥

_शिवांगी सिसोदिया, ग्राम- नगला भोजपुर, पोस्ट- कुस्मारा, जिला- मैनपुरी, (उ. प्रदेश)

1 comment:

  1. उत्तम एवं सराहनीय कविता है.

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