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Sunday, May 13, 2012

नए भवन निर्माण के समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान अवश्य दें...।

नए भवन निर्माण के समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान अवश्य दें...।




- भवन के लिए चयन किए जाने वाले प्लॉट की चारों भुजा राइट एगिंल (90 डिग्री अंश कोण) में हों। कम ज्यादा भुजा वाले प्लॉट अच्छे नहीं होते।



- प्लाट जहाँ तक संभव हो उत्तरमुखी या पूर्वमुखी ही लें। ये दिशाएँ शुभ होती हैं और यदि किसी प्लॉट पर ये दोनों दिशा (उत्तर और पूर्व) खुली हुई हों तो वह प्लॉट दिशा के हिसाब से सर्वोत्तम होता है।





ND- प्लॉट के पूर्व व उत्तर की ओर नीचा और पश्चिम तथा दक्षिण की ओर ऊँचा होना शुभ होता है।



- प्लाट के एकदम लगे हुए, नजदीक मंदिर, मस्जिद, चौराह, पीपल, वटवृक्ष, सचिव और धूर्त का निवास कष्टप्रद होता है।



- पूर्व से पश्चिम की ओर लंबा प्लॉट सूर्यवेधी होता है जो कि शुभ होता है। उत्तर से दक्षिण की ओर लंबा प्लॉट चंद्र भेदी होता है जो ज्यादा शुभ होता है ओर धन वृद्धि करने वाला होता है।



- प्लॉट के दक्षिण दिशा की ओर जल स्रोत हो तो अशुभ माना गया है। इसी के विपरीत जिस प्लॉट के उत्तर दिशा की ओर जल स्रोत (नदी, तालाब, कुआँ, जलकुंड) हो तो शुभ होता है।



- जो प्लॉट त्रिकोण आकार का हो, उस पर निर्माण कराना हानिकारक होता है।



- भवन निर्माण कार्य शुरू करने के पहले अपने आदरणीय विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए।



- भवन निर्माण में शिलान्यास के समय ध्रुव तारे का स्मरण करके नींव रखें। संध्या काल और मध्य रात्रि में नींव न रखें।



- नए भवन निर्माण में ईंट, पत्थर, मिट्टी ओर लकड़ी नई ही उपयोग करना। एक मकान की निकली सामग्री नए मकान में लगाना हानिकारक होता है।



- भवन का मुख्य द्वार सिर्फ एक होना चाहिए तो उत्तर मुखी सर्वश्रेष्ठ एवं पूर्व मुखी भी अच्छा होता है। मुख्य द्वार की चौखट चार लकड़ी की एवं दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए।



- भवन के दरवाजे अपने आप खुलने या अपने आप बंद न होते हों यह भी ध्यान रखना चाहिए। दरवाजों को खोलने या बंद करते समय आवाज होना अशुभ माना गया है।



- भवन में सीढ़ियाँ वास्तु नियम के अनुरूप बनानी चाहिए, सीढ़ियाँ विषम संख्या (5,7, 9) में होनी चाहिए।
            Vishesh-  1. Ishan (uttar-poorv) me kabhi bhi Bathroom/Lat. na ho, Ishan ko hamesha pavitr rakhe.. 2. Ishan me Seedhiya (staircase) bhi  na ho, Kitchan bi iss Ishan Kon me kabhi na banae. 3. Agnikon (Dakshin-Poorv), Naitraty (Dakshin-Paschim), Vavavy (Uttar-Paschim) me Under Ground Wat/tank, Boring, Kua- hamesha avoid kare, Ishan me ye sabhi atiuttam hokar parivar ki chotarpha unnati hogi. 4. Naitratya me Seedhiya hona bahut hi uttam hai. 5. Chhat (terrace) par Tanki Naitraty (Dakshin-Paschim) me ati uttam, Paschim ya Dakshin me bhi rakhi ja sakti hai. Ishan par kabhi na rakhe. 

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