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Wednesday, August 21, 2013

PRATVIRAJ CHOUHAN... Jeevni.

पृथ्वीराज चौहान







(पृथ्वीराज चौहान की जीवनी हिंदी में केवल यहाँ-शिवराजन सिंह के द्वारा)





अजमेर स्थित पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति।पृथ्वीराज चौहान (सन् 1166-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे जो उत्तरी भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध के दौरान अजमेर और दिल्ली पर राज्य करते थे। पृथ्वीराज को 'राय पिथौरा' भी कहा जाता है। वह चौहान राजवंश का प्रसिद्ध राजा थे।पृथ्वीराज चौहान का जन्म अजमेर राज्य के वीर राजपूत महाराजा सोमश्वर के यहाँ हुआ था। उनकी माता का नाम कपूरी देवी था जिन्हेँ पूरे बारह वर्ष के बाद पुत्र रत्न कि प्राप्ति हुई थी। पृथ्वीराज के जन्म से राज्य मेँ राजनीतिक खलबली मच गई उन्हेँ बचपन मेँ ही मारने के कई प्रयत्ऩ किए गए पर वे बचते गए। पृथ्वीराज चौहान जो कि वीर राजपूत योधा थे बचपन से ही तीर और तलवारबाजी के शौकिन थे।उन्होँने बाल अव्सथा मेँ ही शेर से लड़ाई कर उसका जबड़ा फार डाला। पृथ्वी के जन्म के वक्त ही महाराजा को एक अनाथ बालक मिला जिसका नाम चन्दबरदाई रखा गया। जिन्हेँ आगे चलकर कविताओँ का शौक हो गया। चन्दबरदाई और पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही अच्छे मित्र और भाई समान थे। वह तोमर वंश के राजा अनंग पाल का दौहित्र (बेटी का बेटा) था और उसके बाद दिल्ली का राजा हुआ। उसके अधिकार में दिल्ली से लेकर अजमेर तक का विस्तृत भूभाग था। पृथ्वीराज ने अपनी राजधानी दिल्ली का नवनिर्माण किया। तोमर नरेश ने एक गढ़ के निर्माण का शुभारंभ किया था, जिसे पृथ्वीराज ने सबसे पहले इसे विशाल रूप देकर पूरा किया। वह उनके नाम पर पिथौरागढ़ कहलाता है, और दिल्ली के पुराने क़िले के नाम से जीर्णावस्था में विद्यमान है।



पृथ्वीराज चौहान का जन्म[संपादित करें]सन ११०० ई० में दिल्ली में महाराजा अनंगपालतोमर का शासन था। उनकी एकलौती संतान उनकी पुत्री कर्पूरी देवी थी। उनको कोई पुत्र नहीं था। कर्पूरी देवी का विवाह अजमेर के महाराजा सोमेश्वर के साथ हुआ था। अजमेर के रजा सोमेश्वर और रानी कर्पूरी देवी के यहाँ सन 1149 में एक पुत्र पैदा हुआ। जो आगे चलकर भारतीय इतिहास में महान हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उन्हे दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक के रूप मे भी जाना जाता है
इतिहास मे पृथ्वीराज के महोबे के चंदेलों से संघर्ष को आल्हा काव्य मे वर्णित किया गया है
आपका कन्नौज के शासक जयचंद के साथ भी मुकाबला हुआ बाद मे इसी दुश्मनी की वजह से मुहम्मद गोरी के साथ हुयी दूसरी लड़ाई मे आपकी भारी क्षति हुयी एवं पराजय हुयी




उसका राज्य राजस्थान और हरियाणा तक था। और उसने मुस्लिम आक्रमणों के खिलाफ राजपूतों को एकीकृत किया।



पृथ्वी राज ने प्रथम युद्ध में सन 1191 में मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी को हराया। गौरी ने अगले साल दूसरी बार हमला किया, और पृथ्वी राज को हराया और सन 1192 में तराइन के द्वितीय युद्ध में कब्जा कर लिया। अब दिल्ली मुसलमान शासकों के नियंत्रण में आ गई। दिल्ली में किला राय पिथौरा भी पिथौरागढ़ के रूप में पृथ्वीराज द्वारा ही बनाया हुआ है। (Kramshah..)

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